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KGF : कहाँ है असली KGF, आखिर कौन-कौन थे केजीएफ पर कब्जा करने वाले ?

KGF 2: कन्‍नड़ सुपरस्‍टार यश (Yash) की फिल्‍म  KGF Chapter 2  सिनेमाघरों में खूब धमाल मचा रही है | केजीएफ 2' (KGF 2) सिनेमाघरों में 14 अप्रैल 2022 को रिलीज हुई । फिल्‍म के रिलीज होते ही एडवांस बुकिंग में रिकॉर्ड तोड़ कमाई की |  केजीएफ 2' (KGF 2) के डायरेक्‍टर प्रशांत नील है| फिल्म की ज्यादा तर शूटिंग कोलार गोल्ड फील्ड्स में की गई है और इसके साथ ही कोलार, मैसूर और उत्तरी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में फिल्म की शूटिंग की गई है | 

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आखिर क्या है KGF ?

आपको बता दें केजीएफ (KGF) का पूरा नाम कोलार गोल्ड फील्ड (Kolar Gold Fields) हैं, इसे सोना उगलने वाली खद्दान कहा जाता है। केजीएफ कर्नाटक राज्य के कोलार डिस्ट्रिक्ट में पाई जाने वाला एक खननक्षेत्र है। ब्रिटिश दौर में सोने के उत्पादन के लिए इस जगह को खूब जाना जाता था।

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आपको बता दें कोलार गोल्ड फील्ड दुनिया की दूसरी सबसे गहरी खदान है और यहां से 121 सालों तक सोने की खुदाई की गई थी । मीडिया रिपोर्ट्स की रिपोर्ट माने तो कोलार से कुल 900 टन से ज्यादा सोना निकाला जा चुक्का है।

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कर्नाटका के बेंगलुरु से 100 किलो दुरी पर कोलार सोने के उत्पादन के लिए मशहूर रहा है। सन 1905 में दुनियाभर में सबसे ज्यादा सोना प्रड्यूस करने के मामले में भारत 6ठें स्थान पर था।

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ब्रिटिश केजीएफ यानि कोलार गोल्ड फील्ड (Kolar Gold Fields) को मिनी इंग्लैंड कहा करते थे। उन्होने वि खूब सोना लुटा था | सबसे बड़ी बात है की यह जापान के बाद केजीएफ (Kolar Gold Fields) एशिया का दूसरा नगर है जहां बिजली शुरू हुई थी। 

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केजीएफ KGF में भारत गोल्‍ड माइंस लिमिटेड में हजारों लोग काम किया करते थे। साल 2001 में इस सरकारी कंपनी ने खुदाई बंद कर दी थी। इसका कारण था कि सोना कम और खुदाई का खर्चा ज्यादा होने लगा था और इसके साथ यह भी बताया जा रहा है की यहां काफी पानी भर चूका है जिस कारण खुदाई नहीं की जा सकती | 

इसके साथ केजीएफ KGF से 131 किलोमीटर दूर शिवनसमुद्र में एशिया का पहला हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन स्थापित किया गया था। पुराने समय में गुप्त, चोल वंशों, टीपू सुल्तान से लेकर अंग्रेजों समेत कई सालों तक कोलार के सोने को खूब लूटा गया। इन्होने दिन रात खुदाई करवाई और काफी सोना निकाला गया | 

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सन 1903 में, ब्रिटिश सरकार ने केजीएफ और आसपास के गांवों में पानी की आपूर्ति के लिए बेटमंगला में एक झील बनवाई। ये कृत्रिम झील धीरे धीरे पिकनिक स्पॉट बन गयी।

भारत में कोकिंग कोयला खान (आपातकाल प्रावधान) अधिनियम 1971 सरकार द्वारा 16 अक्तूबर 1971 को लागू किया गया था | जिसके तहत, इस्को, टिस्को, और डीवीसी के कैप्टिव खानों के अलावा भारत सरकार ने सभी 226 कोकिंग कोयला खानों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया और उसे 1 मई, 1972 को राष्ट्रीयकृत कर दिया ।

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भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस खद्दान को फिर से खोलने की तैयारी में है। कहा जाता है कि आज भी कोलार में काफी मात्रा में सोना है।


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