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International Language Day 2023: आखिर क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ?

International Language Day 2023

International Language Day 2023: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को भाषाई, सांस्कृतिक अनेकता के बारे में जागरूकता फैलाने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। भारत सैकड़ों भाषाओं और हजारों बोलियों का देश है जो इसकी भाषाई और सांस्कृतिक अनेकता दुनिया में देश सबसे अनूठा बनाते हैं। भाषा ना केवल संचार का साधन है बल्कि यह एक बौद्धिक विरासत को भी दर्शाती है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का मुख्य मकसद यह है कि दुनियाभर की भाषाओं और सांस्कृतिक का सम्मान हो और दुनिया भर में 21 फरवरी को “अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस” के रूप में मनाया जाता है | अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में अपनी भाषा-संस्कृति (Language culture) के प्रति जागरुकता फैलाना है और प्रति लोगों में रुझान पैदा करना है | 

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का कारण बहुत कम लोग जानते हैं, यह दिवस बांग्लादेश के कारण मनाया जाता है। 21 फरवरी, 1952 को बांग्लादेश में आधिकारिक तौर पर अपनी मातृभाषा के रूप में बंगाली के उपयोग के लिए प्रचार करते हुए चार छात्रों की हत्या कर दी गई थी। 

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास

16 मई 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सदस्य देशों को "दुनिया के लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी भाषाओं के सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कहा । वास्तव में इसी संकल्प के साथ, 2008 में महासभा ने बहुभाषावाद और बहुसंस्कृतिवाद के जरिए से अनेकता और एकता को उतसाहित करने के लिए भाषाओं के अंतर्राष्ट्रीय साल की घोषणा की और यूनेस्को को साल की प्रमुख एजेंसी के रूप में नामित किया।

इसमें कोई शक नहीं है की इस पहल ने भाषाओं से संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाई गई और दुनिया के कई हिस्सों में भाषा अनेकता और बहुभाषावाद के लिए रणनीतियों और नीतियों को समर्थन करने के लिए संसाधनों और भागीदारों को जुटाया।

हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि भाषा सभी प्रकार के संचार के लिए मूलभूत है और संचार मानव समाज में परिवर्तन और विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस तब बनाया गया था जब भाषाई अनेकता पर लगातार खतरा मंडरा रहा था

1952 के बंगाली भाषा आंदोलन

जब भारत ने ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्त की, तो भारत का उपमहाद्वीप एक अलग मुस्लिम राज्य (पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान) और एक अलग हिंदू राज्य (भारत) में बंट गया। पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) के बीच एक सांस्कृतिक और भाषाई संघर्ष था।

1948 में पाकिस्तान की सरकार ने उर्दू को राष्ट्रभाषा घोषित किया और इसके कारण तनाव और बढ़ गया। सरकार के इस फैसले ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषी बहुमत के बीच कई हिंसक विरोधों को जन्म दिया। 

ढाका यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने 21 फरवरी, 1952 को कुछ कार्यकर्ताओं के साथ एक विरोध प्रदर्शन किया। उस दिन बाद में पुलिस ने छात्रों पर गोलियां चला दी, इस दौरान प्रदर्शनकारी और यूनिवर्सिटी के चार छात्र मारे गए। बांग्ला भाषा को आधिकारिक तौर पर अपनी मातृभाषा के रूप में इस्तेमाल करने के लिए संघर्ष करने वाले इन छात्रों की शहादत को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर याद किया जाता है।

अंत में 29 फरवरी, 1956 को बंगाली को पाकिस्तान की दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई। 1971 में, पूर्वी पाकिस्तान एक आजाद देश बन गया और बंगाली इसकी आधिकारिक भाषा बन गई।

 पहला अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 

नवंबर 1999 में यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन के ऊपर चर्चा की और  बाद में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया गया और 21 फरवरी 2000 को पहला अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया।

यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 (21 फरवरी) के 24वें संस्करण के उत्सव के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। दुनिया भर के कई देशों में जहां दैनिक जीवन में एक से अधिक भाषाओं का उपयोग करना आम बात है, शिक्षा बहुभाषी संदर्भों में भी होती है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का 24वां संस्करण  थीम ''multilingual education - a necessity to transform education' है | यानी है 'बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा को बदलने की आवश्यकता' विषय पर केंद्रित होगा।

भारत की राष्ट्रभाषा

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) में कहा गया है कि देवनागरी में लिखी गई हिंदी संघ की राजभाषा होगी। संघ के सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग किया जाएगा।

भारतीय संसद और सरकारी भवनों में आधिकारिक कामकाज के लिए केवल हिंदी या अंग्रेजी की अनुमति है। पूरे राष्ट्र में अंग्रेजी का उपयोग आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिसमें विधानिक कार्यवाही, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच पत्राचार और कानूनी प्रक्रियाएँ शामिल हैं।

अनुच्छेद 343 के अनुसार केंद्र सरकार राज्यों से हिंदी में ही संवाद करती है। राज्यों के साथ बातचीत करते समय, अंग्रेजी को एक सहयोगी राजभाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

भारत की 22 राजभाषा

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची 22 विभिन्न भाषाओं को मान्यता देती है। भारतीय संविधान के भाग XVII के अनुच्छेद 343 से 351 देश की आधिकारिक भाषाओं को संबोधित करते हैं। इस से पहले केवल 14 भाषाओं को मान्यता प्राप्त थी |

भारत की 22 भाषा कौन सी है?

(1) हिंदी

(2) पंजाबी 

(3) गुजराती 

(4) बंगाली

(5) कन्नड़ 

(6) कश्मीरी

 (7) कोंकणी 

(8) मलयालम 

(9) मणिपुरी 

(10) मराठी

( 11) नेपाली

 (12) उड़िया

(13) असमिया

 (14) संस्कृत 

(15) सिंधी 

(16) तमिल

(17) तेलुगु

 (18) उर्दू 

(19) बोडो

(20) संथाली

(21) ) मैथिली 

(22) डोगरी

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