कल्पना चावला की कहानी: Biography And Columbia disaster
Biography of Kalpana Chawla & Columbia disaster
कल्पना चावला (Kalpana Chawla) 1997 में अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थी | छह साल बाद 1 फरवरी 2003 को कल्पना चावला की कोलंबिया शटल दुर्घटना में मौत हो गई, जब अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश किया तो अचानक टूट गया, जिससे उसमें सवार सभी सात अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
हालाँकि, कल्पना चावला की विरासत आज भी जीवित है। उनकी प्रतिभा और कड़ी मेहनत ने भारत और दुनिया भर के युवाओं को अंतरिक्ष उड़ान में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है।
कल्पना चावला की कहानी हरियाणा के करनाल से शुरू होती है और दुनिया की बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नासा तक की यात्रा बताती है कि वह भारत समेत दुनिया के लिए मिसाल और प्रेरणा है । 41 साल की उम्र में दो बार अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली कल्पना अपनी मौत से पहले ही दुनिया के लिए एक आइकन बन चुकी थीं। 17 मार्च को उनके जन्मदिन पर उनके फैन्स समेत पूरी दुनिया उन्हें याद कर रही है |
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कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को भारत के हरियाणा राज्य के करनाल जिले में हुआ था। वह अपने पिता बंसारी लाल और मां संयोगिता की चौथी संतान थीं। उन्हें प्यार से मोंटो कहा जाता था लेकिन जब स्कूल में दाखिले की बात आई तो स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें एक नाम चुनने को कहा और मोंटो ने कल्पना नाम चुना। इस प्रकार कल्पना ने अपना नाम चुना।
कल्पना चावला की असली जन्म तिथि 17 मार्च 1962 है। इसी तारीख को ही वह अपना बर्थडे सेलिब्रेट करती थीं। कहा जाता है कि उनके पिता ने 10वीं की परीक्षा की योगिता के लिए उनकी आधिकारिक जन्मतिथि को बदलकर 01 जुलाई 1961 कर दिया था। इसके बाद ही वह 10वीं की परीक्षा में शामिल हो पाई थी। तब से उनकी जन्मतिथि आधिकारिक तौर पर नासा के अनुसार 1 जुलाई 1961 है ।
कल्पना चावला को कविता लिखने, डांस करने, साइकिल चलाने और दौड़ने का बहुत शौक था। वह अपने स्कूल के दिनों से ही डांस पार्टिसिपेंट रही हैं। इसके अलावा उन्होंने वॉलीबॉल और दौड़ में भी भाग लिया और लड़कों के साथ बैडमिंटन और डॉजबॉल खेली। उन्हें चांदनी रात में साइकिल चलाना भी अच्छा लगता था।
कल्पना चावला की बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि थी। पढ़ाई में वह हमेशा टॉप फाइव में आती थी। स्कूल के बाद, उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 1982 में अमेरिका चली गई । वहां उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की, उसके बाद 1986 में दूसरी मास्टर डिग्री और 1988 में बोल्डर में कोलोराडो विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
कल्पना चावला को उड़ान भरने का बहुत शौक था। उन्होंने खुद पंजाब यूनिवर्सिटी में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का विषय चुना, जिससे कॉलेज के प्रिंसिपल हैरान रह गए। वह इस फैकल्टी को चुनने वाली कॉलेज की पहली लड़की थीं। उड़ने के उनके जुनून ने उन्हें सीप्लेन, मल्टी-इंजन प्लेन और ग्लाइडर का प्रमाणित कमर्शियल पायलट बनने के लिए प्रेरित किया। वह ग्लाइडर और हवाई जहाज के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक भी थी।
कल्पना चावला का चयन तब नहीं हुआ था जब उन्होंने नासा के लिए पहली बार आवेदन किया था। जब कल्पना ने अपने दूसरे प्रयास में सफल रही, वह 23 शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों में से एक थी । मार्च 1995 में नासा ने उन्हें अपनी अंतरिक्ष यात्री कोर टीम में शामिल किया और 1997 में अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया और 19 नवंबर से 5 दिसंबर, 1997 तक इसका पहला स्पेसवॉक किया गया। 1 फरवरी, 2003 को अपनी दूसरी उड़ान से लौटते समय कोलंबिया शटल दुर्घटना में उनकी जान चली गई।
कुछ ख़ास बातें :
1983: फ़्लाइट इंस्ट्रक्टर जीन-पियरे हैरिसन साथ कल्पना ने शादी की |
1993: ओवरसेट मेथड्स इंक में उपाध्यक्ष और अनुसंधान वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुई ।
1996: वह मिशन स्पेस्लिस्ट के रूप में अंतरिक्ष यान कोलंबिया के एसटीएस-87 पर गईं।
1997: कोलंबिया अंतरिक्ष यान एसटीएस-87 में सवार होकर उन्होंने अंतरिक्ष में अपनी पहली उड़ान भरी
2000: कल्पना को उनके दूसरे अंतरिक्ष अभियान, अंतरिक्ष यान कोलंबिया के एसटीएस-107 के लिए चुना गया।
2003: 1 फरवरी को, अंतरिक्ष यान कोलंबिया पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते समय टेक्सास के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे उसमें सवार सभी सात अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
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